6. वैद्युतचुंबकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction)
NCERT MCQS
- L. मीटर भुजा का एक वर्ग किसी क्षेत्र में x – y समतल में स्थित है, जहाँ चुम्बकीय क्षेत्र इस प्रकार दिया है, B = Bo(2i+3j+4k)T जहाँ Bo नियतांक है। वर्ग से गुजरने वाले फ्लक्स का परिमाण होगा-
(a) 2BL2 Wb
(b) 3B,L2 Wb
(c) 4BL² Wb
(d) √29 BoL² Wb
- सीधी कोरों से बने एक लूप में A(0, 0, 0), B(L, 0, 0), C(L, L, 0), D(0, L, 0), E(0, L, L) एवं F(0, 0, L) पर छह कोने हैं। एक चुम्बकीय क्षेत्र B = B(i+k) T क्षेत्र में उपस्थित है। लूप ABCDEFA (इसी क्रम में) से गुजरने वाला फ्लक्स होगा-
(a) BoL² Wb
(b) 2BL2 Wb
(c) √2 BoL² Wb
(d) 4BL² Wb
- लम्बाई । तथा अनुप्रस्थ परिच्छेद क्षेत्रफल A की एक परिनालिका का स्व-प्रेरकत्व L, जिसमें फेरों की निश्चित संख्या N है, तब बढ़ता है जब
(a) 1 एवं A बढ़ते हैं।
(b) । कम होता है तथा A बढ़ता है।
(c) 1 बढ़ता है तथा A कम होता है।
(d) 1 एवं A दोनों घटते हैं।
PYQ + VVI MCQS
- 400 2 प्रतिरोध की एक कुंडली को एक चुम्बकीय क्षेत्र में रखा गया है। यदि कुंडली से संबंद्ध चुम्बकीय फ्लक्स ¢ (Wb) समय t (सेकण्ड) के साथ निम्न प्रकार परिवर्तित होता है, phi = 50t ^ 2 + 4 तब t = 2 सेकण्ड पर कॉयल में धारा होगी:
(a) 0.5 A
(b) 0.1 A
(c) 2 A
(d) 1 A
- प्रभावी क्षेत्रफल 0.05m ^ 2 की 800 फेरों की कोई कुण्डली 5 * 10 ^ – 5 * T के किसी चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत रखी है। जब इस कुण्डली के तल को, 0.1 s में इसके किसी समतलीय अक्ष के चारों ओर, 90 deg पर घूर्णित किया जाता है, तो इस कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल होगा:
(a) 0.02 V
(b) 2 V
(c) 0.2 V
(d) 2 * 10 ^ – 3 * V
- किसी लम्बी परिनालिका का व्यास 0.1m है। इसमें तार के फेरों की संख्या 2 * 10 ^ 4 प्रति मीटर है। इसके केन्द्र पर 0.01m त्रिज्या तथा 100 फेरों वाली एक कुंडली इस प्रकार रखी है कि दोनों के अक्ष संपाती हैं। परिनालिका से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा का मान एक स्थिर दर से कम होता जाता है और 0.05s में 4A से शून्य हो जाता है। यदि, कुंडली का प्रतिरोध 10pi ^ 2 2 है तो इस अन्तराल में कुंडली से प्रवाहित कुल आवेश होगा : π – pi u = mu = म्यु
(a) 32pimuC
(b) 16mu*C
(c) 32mu*C
(d) 16pimuC
- एक आयताकार, एक वृत्तीय और एक दीर्घवृत्तीय फन्द जो सभी x-y तल में हैं, एक अचर चुम्बकीय क्षेत्र से स्थिर वेग V = vi से बाहर निकल रहे हैं। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ऋणात्मक 2 अक्ष की दिशा में है। क्षेत्र से बाहर निकलने के प्रक्रम में इस फन्द में प्रेरित वि.वा. बल (emf) स्थिरमानी नहीं रहेगा:
(a) चार फन्दों में से किसी में भी
(b) आयताकार, वृत्तीय और दीर्घवृत्तीय फन्दों में
(c) वृत्तीय और दीर्घवृत्तीय फन्दों में
(d) केवल दीर्घवृत्तीय फन्दों में
- एक लम्बे बहुकुंडलक (सोलिनॉइड) में 500 फेरे हैं। जब इसमें से 2 ऐम्पीयर की धारा प्रवाहित की जाती है, तो हर फेरे से सम्बन्धित चुम्बकीय फ्लक्स 4 × 103 Wb होता है। सोलिनॉइड का स्वप्रेरकत्व होगा:
(a) 1.0 हैनरी
(b) 4.0 हैनरी
(c) 2.5 हैनरी
(d) 2.0 हैनरी
- एक परिपथ का प्रतिरोध R है। इस परिपथ में समय △ में चुम्बकीय फ्लक्स का मान ¢ से बदल जाता है। परिपथ के किसी भी बिन्दु से Delta*t समय में चलने वाले कुल विद्युत आवेश Q का मान व्यक्त होगा:
(a) Q = (Delta*phi)/R
(b) Q = (Deltaphi)/(Deltat)
(১) Q = R * (Deltaphi)/(Deltat)
(d) Q = 1/R * (Deltaphi)/(Deltat)