Magnetism and Matter Class 12 MCQ

5. चुंबकत्व एवं द्रव्य (Magnetism and Matter)
NCERT MCQs

  1. n फेरे, माध्य त्रिज्या R एवं अनुप्रस्थ-परिच्छेद की त्रिज्या व के एक टोरॉइड में । धारा बहती है। इसे x – y तल की क्षैतिज टेबल पर रखा जाता है। इसका चुम्बकीय आघूर्ण M

(a) अशून्य तथा सममिति द्वारा z-दिशा में निर्दिष्ट होता है

(b) टोरॉइड के अक्ष के अनुदिश निर्दिष्ट होता है (M = M)

(c) शून्य होता है अन्यथा टोरॉइड के बाहर अधिकतम दूरियों में एक क्षेत्र 1/73 के अनुपात में कम होगा

(d) त्रिज्यीय रूप से बाहर की ओर निर्दिष्ट होता है।

  1. भू-चुम्बकीय क्षेत्र को पृथ्वी के केन्द्र पर स्थित बिन्दु द्विध्रुव के द्वारा प्रतिरूपित (Modelled) किया जा सकता है। द्विध्रुव अक्ष, पृथ्वी के अक्ष के साथ 11.3° का कोण बनाता है। मुम्बई में, दिक्पात लगभग शून्य होता है, तो

(a) दिक्पात 11.3° W से 11.3° E के मध्य परिवर्तित होता है
(b) कम से कम दिक्पात 0° होता है
(c) समतल को द्विध्रुव अक्ष द्वारा परिभाषित किया जाता है तथा पृथ्वी का अक्ष ग्रीनविच से गुजरता है
(d) पृथ्वी पर औसतन दिक्पात हमेशा ऋणात्मक होता है।

  1. कमरे के ताप पर स्थायी चुम्बक में

(a) प्रत्येक अणु का चुम्बकीय आघूर्ण शून्य होता है

(b) व्यक्तिगत अणुओं का चुम्बकीय आघूर्ण अशून्य होता है जो पूर्णरूप से व्यवस्थित होते हैं

(c) अनुक्षेत्र आंशिक रूप से व्यवस्थित होते हैं

(d) अनुक्षेत्र पूर्ण रूप से व्यवस्थित होते हैं।

  1. दो आदर्श निकायों पर विचार कीजिए।

(i) बड़ी प्लेटों एवं कम दूरी वाला समानान्तर पट्ट संधारित्र तथा
(ii) L >>R, लम्बाई वाली लंबी परिनालिका अनुप्रस्थ-परिच्छेद की त्रिज्या
(i) में vec E प्लेटों के मध्य नियत एवं बाहर शून्य के रूप में आदर्श रूप से मानी जाती है। (ii) में, चुम्बकीय क्षेत्र परिनालिका के अन्दर नियत तथा शून्य के बाहर नियत होता है। ये आदर्श अवधारणाएं हालांकि निम्नानुसार मौलिक नियमों का विरोधाभास करती हैं।

(a) प्रकरण (i) स्थिरविद्युत क्षेत्रों के लिए गाउस के नियम का विरोधाभास करता है।

(b) प्रकरण (ii) चुम्बकीय क्षेत्रों के लिए गाउस के नियम का विरोधाभास करता है।

(c) प्रकरण (i) फायी vec E . vec dl = 0 से सहमत होता है।

(d) प्रकरण (ii) फायी vec H . vec dl =I en का विरोधाभास करता है।

  1. एक अनुचुम्बकीय नमूना 8A * m ^ – 1 के कुल चुम्बकीकरण को तब दर्शाता है जब उसे 4K के ताप पर 0.6 T बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित किया जाता है। जब उसी नमूने को 16 K के ताप पर 0.2T बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है, तो चुम्बकीकरण होगा

(a) 32 A * m ^ – 1 3

(b) 2/3 * A * m ^ – 1

(c) 6A * m ^ – 1

(d) 2.4A * m ^ – 1

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  1. 599 धारणशीलता की किसी लोहे की छड़ पर 1200 A * m ^ – 1 तीव्रता का चुम्बकीय क्षेत्र लगाया गया है। इस छड़ के पदार्थ की पारगम्यता है : (mu_{0} = 4pi * 10 ^ – 7 * Tm * A ^ – 1)

(a) 8 * 10 ^ – 5 * Tm * A ^ – 1

(b) 2.4pi * 10 ^ – 5 * Tm * A ^ – 1

(c) 2.4pi * 10 ^ – 7 * Tm * A ^ – 1

(d) 2.4pi * 10 ^ – 4 * Tm * A ^ – 1

  1. पृथ्वी के पृष्ठ के किसी बिन्दु A पर नति कोण delta=+ 25 deg | पृथ्वी के किसी अन्य बिन्दु B पर नति कोण delta = – 25 deg * 1 हम यह व्याख्या कर सकते हैं किः

(a) A और B दोनों दक्षिणी गोलार्ध में स्थित हैं।

(b) A और B दोनों उत्तरी गोलार्ध में स्थित हैं।

(c) A दक्षिणी गोलार्ध में तथा B उत्तरी गोलार्ध में स्थित है।

(d) A उत्तरी गोलार्ध में स्थित है तथा B दक्षिणी गोलार्ध में स्थित है।

  1. किसी विद्युत-चुम्बक के ध्रुवों के बीच प्रतिचुम्बकीय पदार्थ की एक पतली छड़ ऊर्ध्वाधर स्थित है। जब विद्युत-चुम्बक में ध ारा प्रवाहित की जाती है, तो वह छड़ क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र से बाहर ऊपर की ओर धकेल दी जाती है। इस प्रकार यह छड़ गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा प्राप्त करती है। ऐसा करने के लिए आवश्यक कार्य करता है:

(a) छड़ के पदार्थ की जालक संरचना

(b) चुम्बकीय क्षेत्र

(c) विद्युत स्रोत
(d) प्रेरित विद्युत-क्षेत्र जो कि परिवर्ती चुम्बकीय क्षेत्र से उत्पन्न होता है।

  1. किसी एकसमान क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र में एक पतले सूती धागे से लटकाया गया एक दंड चुम्बक साम्यावस्था में है। इसे 60 deg से घुमाने के लिए आवश्यक ऊर्जा W है। अब इस चुम्बक को इसी नयी स्थिति में बनाये रखने के लिए आवश्यक बल आघूर्ण का मान होगा:

(a) (sqrt(3) * W)/2

(b) (2W)/(sqrt(3))

(c) W/(sqrt(3))

(d) sqrt(3) * W

  1. चार हल्की छड़ों A, B, C, D को धागों से अलग-अलग लटकाया गया है। एक छड़ (दंड) चुम्बक को धीरे-धीरे प्रत्येक के पास लाया जाता है और निम्नलिखित प्रेक्षण नोट किये जाते हैं:

(i) A हल्की सी प्रतिकर्षित होती है।
(ii) B हल्की सी आकर्षित होती है।
(iii) C बहुत अधिक आकर्षित होती है।
(iv) D अप्रभावित रहती है।

तो निम्नलिखित में से कौन-सा कथन ठीक है?

(a) B अनुचुम्बकीय पदार्थ की है।

(b) C प्रतिचुम्बकीय पदार्थ की है।

(c) D लौहचुम्बकीय पदार्थ की है।

(d) A अचुम्बकीय पदार्थ की है।

  1. किसी चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर लटकी चुम्बकीय सुई को 60 deg घुमाने के लिये sqrt(3) * J कार्य की आवश्यकता होती है, तो इस सुई को इसी स्थिति में बनाये रखने के लिये आवश्यक बल आघूर्ण (टॉर्क) का मान होगा:

(a) 2sqrt(3) * J

(b) 3J

(c) sqrt(3) * J

(d) 3/2 * J

  1. 2 × 104 JT-1 चुम्बकीय आघूर्ण का एक छड़ चुम्बक एक क्षैतिज तल में स्वतंत्र रूप से घूम सकता है। इस स्थान पर vec B = 6 * 10 ^ – 4 T का क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र क्रियाकारी है। क्षेत्र दिशा के समान्तर दिशा से चुम्बक को धीरे-धीरे क्षेत्र दिशा से 60 deg की दिशा तक ले जाने में किया गया कार्य होगाः

(a) 21

(b) 0.6 J

(c) 12 J

(d) 6J

  1. एक छड़ चुम्बक पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में T आवर्त्तकाल से दोलन कर रहा है। यदि इसका द्रव्यमान चार गुना कर दिया जाए, तब उसका आवर्त्तकाल और गति होंगे:

(a) सरल आवर्त गति रहेगी और आवर्त्तकाल = T/2

(b) सरल आवर्त गति रहेगी और आवर्त्तकाल = 2T

(c) सरल आवर्त गति रहेगी और आवर्त्तकाल = 4T

(d) सरल आवर्त गति रहेगी और आवर्त्तकाल लगभग स्थिर रहेगा।

  1. क्यूरी के नियम के अनुसार पदार्थ की चुम्बकीय प्रवृत्ति परम ताप T’ से किस प्रकार समानुपाती होती है?
    (a) 1/T के

(b) Tके

(c) 1/T2 के

(d) T2 के

  1. चुम्बकीय क्षेत्र में एक प्रतिचुम्बकीय पदार्थ गतिशील है:

(a) क्षेत्र के तीव्र भाग से क्षीण भाग की ओर

(b) क्षेत्र के क्षीण भाग से तीव्र भाग की ओर

(c) क्षेत्र के लम्बवत्

(d) उपरोक्त में से किसी भी दिशा में नहीं

  1. दो एक समान छड़ चुम्बकों के चुम्बकीय आघूर्ण क्रमशः Mव 2M हैं। इनको इस प्रकार से संयोजित किया जाता है कि इनके समान ध्रुव एक ओर होते हैं, इस स्थिति में इसका दोलन काल T, है। यदि किसी एक चुम्बक की ध्रुवता को उलट दिया जाये, तो इसका दोलनकाल T₂ हो जाता है, तबः

(a) T₁<T₂

(b) T₁ =T2

(c) T₁> T2

(d) T₂ = ∞

  1. स्पर्शज्या धारामापी का उपयोग है:

(a) विभवान्तर मापने में

(b) धारा मापने में

(c) प्रतिरोध मापने में

(d) आवेश मापने में

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