- एक ऊष्मागतिकी प्रक्रम में गैस को 200 जूल की ऊष्मा दी जाती है तथा इस पर 100 जूल कार्य भी किया जाता है। गैस की आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन होगा-
(1) 100 J
(2) 300 J
(3) 419 J
(4) 24 J
- यदि किसी निकाय में 150 J ऊष्मा दी जाती है और निकाय द्वारा किया गया कार्य 110 J है तो आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन होगा
(1) 260 J
(2) 150 J
(3) 110 J
(4) 40 J
- निम्नलिखित में से कौन ऊष्मागतिकी निकाय की अवस्था को निर्धारित नहीं कर सकता है?
(1) दाब और आयतन
(2) आयतन एवं तापमान
(3) तापमान एवं दाब
(4) दाब, आयतन या तापमान में से कोई भी एक
- स्थिर दाब पर हाइड्रोजन गैस की विशिष्ट ऊष्मा Cp = 3.4 × 10^3 cal/kg °C है और स्थिर आयतन पर C = 2.4 × 10³ cal/kg °C है। यदि एक किलोग्राम हाइड्रोजन गैस को स्थिर दाब पर 10°C से 20°C तक गर्म किया जाता है तो इसे स्थिर दाब पर बनाए रखने के लिए गैस पर किया गया बाह्य कार्य है
(1) 10^5 cal
(2) 10^4 cal
(3) 10³ cal
(4) 5 x 10^3 cal
- निम्नलिखित में से कौन-सा कथन किसी ऊष्मागतिकी निकाय के लिए सही है?
(1) सभी प्रक्रमों में आंतरिक ऊर्जा परिवर्तित होती है
(2) आंतरिक ऊर्जा और एन्ट्रापी अवस्था फलन हैं।
(3) एन्ट्रॉपी में परिवर्तन कभी शून्य नहीं हो सकता
(4) रुद्धोष्म प्रक्रम में किया गया कार्य सदैव शून्य होता है
- एक निकाय को 200 कैलोरी ऊष्मा प्रदान की जाती है और निकाय द्वारा परिवेश पर किया गया कार्य 40 J है। तब इसकी आंतरिक ऊर्जा
(1) 600 J से बढ़ती है
(2) 800 J से घटती है
(3) 800 J से बढ़ती है
(4) 50 J से घटती है
- ऊष्मागतिकी प्रक्रम में गैस के एक स्थिर द्रव्यमान का दाब इस प्रकार बदला जाता है कि गैस के अणुओं द्वारा 20 J की ऊषा निर्गत होती हैं और गैस पर किया गया कार्य 10 J है। यदि गैस की प्रारंभिक आंतरिक ऊर्जा 40 J थी तो अंतिम आंतरिक ऊर्जा होगी
(1) 30 J
(2) 20 J
(3) 60 J
(4) 40 J
- किसी पिंड में ऊष्मा का आदान-प्रदान नहीं हो रहा है। यदि इसकी आंतरिक ऊर्जा बढ़ा दी जाए तो
(1) इसका तापमान बढ़ जाएगा
(2) इसका तापमान घट जायेगा
(3) इसका तापमान स्थिर रहेगा
(4) इनमें से कोई नहीं
- निम्नलिखित में से कौन-सी राशि पथ पर निर्भर नहीं करती है?
(1) तापमान
(2) ऊर्जा
(3) कार्य
(4) इनमें से कोई नहीं
- ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम की एक विशेष स्थिति है
(1) न्यूटन का नियम
(2) ऊर्जा संरक्षण का नियम
(3) चार्ल्स का नियम
(4) ऊष्मा विनिमय का नियम
- यदि नियत दाब और नियत ताप पर एक गैस की विशिष्ट ऊष्मा का अनुपात ४ है तो स्थिर दाब p पर आयतन V से 2V में बदलने पर गैस के द्रव्यमान की आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन होता है।
(1) R / (y-1)
(2) pV
(3) PV/ (7-1)
(4) YPV / (y-1)
- ताप किसी वस्तु की तप्तता अथवा शीतलता का माप है। यह परिभाषा आधारित है
(1) ऊष्मागतिकी के शून्य नियम पर
(2) ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम पर
(3) ऊष्मागतिकी के द्वितीय नियम पर
(4) न्यूटन के शीतलन नियम पर
- यदि किसी निकाय को दी गई ऊष्मा 6 kcal है और निकाय द्वारा किया गया कार्य 6 kJ है। तब आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन होता है
(1) 19.2 kJ
(2) 12.5 kJ
(3) 25 kJ
(4) शून्य
- n-मोल की एक एकपरमाणुक गैस को दो अलग-अलग परिस्थितियों (i) स्थिर आयतन पर और (ii) स्थिर दाब पर ताप T₁ से T₂ तक गर्म किया जाता है। गैस की आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन होता है
(1) (i) के लिए अधिक
(2) (ii) के लिए अधिक
(3) दोनों परिस्थितियों में समान
(4) मोल की संख्या पर निर्भर नहीं करती
- यदि एक निकाय में आयतन का संकुचन होता है तो निकाय द्वारा किया गया कार्य होगा
(1) शून्य
(3) ऋणात्मक
(2) नगण्य
(4) धनात्मक
- ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा गलत है
(1) यह आंतरिक ऊर्जा की अवधारणा का परिचय देता है
(2) यह एन्ट्रॉपी की अवधारणा का परिचय देता है
(3) यह किसी चक्रीय प्रक्रम पर लागू नहीं होता है
(4) (2) एवं (3) दोनों
- एक आदर्श गैस को चार चरणों के माध्यम से एक चक्रीय ऊष्मागतिकी प्रक्रम से ले जाया जाता है। इन चरणों में सम्मिलित ऊष्मा की मात्रा क्रमशः Q₁ = 5960 J, Q₂ = 5585 J, Q₁ = -2980 J, Q₁ = 3645 J है। संबंधित कार्य क्रमशः W₁ = 2200 J, W2-825 J, W₁ = -1100 J और W₁ हैं। W₁ का मान है: 4
(1) 780 J
(2) 775 J
(3) 765 J
(4) 760 J
- निम्नलिखित दो कथनों पर विचार कीजिए और सही उत्तर का चयन कीजिए
(I) यदि किसी निकाय में ऊष्मा दी जाती है तो उसका तापमान हमेशा बढ़ना चाहिए।
(II) यदि ऊष्मागतिकीय प्रक्रम में निकाय द्वारा किया गया कार्य धनात्मक है तो उसका आयतन अवश्य बढ़ना चाहिए
(1) I
(2) II
(3) दोनों
(4) कोई नहीं
- किसी गैस को स्थिर दाब पर गर्म किया जाता है। बाह्य कार्य के लिए प्रयुक्त आपूर्ति की गई ऊष्मा का अंश है:
(1) 1- 2/Y
(2) 1- 3/ Y
(3) 1- 2/3y
(4)1- 1/Y
- 1 cm³ जल अपने क्वथनांक पर 540 कैलोरी की ऊष्मा अवशोषित करके 1671 cm³ के आयतन का भाप बन जाता है। वायुमंडलीय दाब = 1.013 × 105 Nm² एवं ऊष्मा यांत्रिक समतुल्य = 4.19 कैलोरी, तो इस प्रक्रम में अंतरपरमाणविक बलों को पराभूत करने में खर्च की गयी ऊर्जा है-
(1) 550 cal
(2) 500 cal
(3) 502 cal
(4) 490 cal
- एक गैस को 50 N/m² के स्थिर दाब पर 10 m³ के आयतन से 4 m³ के आयतन तक संपीड़ित किया जाता है। इस प्रकार गैस को गर्म करने से उसमें 100 joule की ऊर्जा जुड़ जाती है। इसकी आन्तरिक ऊर्जा है:
(1) 450 J
(2) 400 J
(3) 350 J
(4) 410 J
- निश्चित क्षमता 44.8 L वाले एक सिलेंडर में STP पर He गैस के 2 मोल हैं। सिलेंडर में गैस का तापमान 20°C तक बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा कितनी है?
(1) 496 J
(2) 495 J
(3) 502 J
(4) 499 J
- यदि स्थिर आयतन पर ताप को 1K से बढ़ाया जाता है तो गैस पर किया गया कार्य है:
(1) धनात्मक
(2) ऋणात्मक
(3) शून्य
(4) आकड़ा अपर्याप्त
- उष्मागतिकी परिवर्तन से गुजरने वाले एक निकाय का P-V चित्र आकृति में दर्शाया गया है। A→B→ C से जाने में निकाय द्वारा किया गया कार्य 30 जूल है तथा इसको 40 जूल की उष्मा दी जाती है। A तथा C के मध्य आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन है:
(1) 8 जूल
(2) 9 जूल
(3) 11 जूल
(4) 10 जूल
- निम्नलिखित में से कौन-सा पथ फलन नहीं है?
(1) ∆W
(2) ∆Q+AW
(3) ∆Q-∆W
(4) ∆Q
- एक आदर्श गैस को एक चक्र ABCA के माध्यम से ले जाया जाता है जैसा कि P-V आरेख में दर्शाया गया है। चक्र के दौरान किया गया कार्यः
B – (2P, V) C – (2P, 3V) A – (P, V)
P | ∆
|_ V
(1) 2 PV
(2) 3 PV
(3) PV
(4) PV/3
- यदि ∆Q. AE और AW क्रमशः प्राप्त की गई ऊष्मा, आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन और एक बंद चक्रीय प्रक्रम में किए गए कार्य को दर्शाते हैं तो इनमें से कौन-सा अनुसरण करेगाः
(1) AW = 0
(2) AQ = 0
(3) ΔΕ = 0
(4) इनमें से कोई नहीं
- चित्र में एक चक्रीय प्रक्रम दर्शाया है। चक्रीय प्रक्रम ABCDA के दौरान किया गया कार्य
(1) 150 J
(3) 145 J
(4) 166 J
(2) 163 J
- एक निकाय को अवस्था A से अवस्था B तक दो अलग- अलग पथ 1 और 2 से ले जाया जाता है। इन दोनों पथों पर निकाय द्वारा अवशोषित ऊष्मा और किया गया कार्य क्रमशः Q1, Q2 और W₁, W₂ हैं। तो
(1) Q-W = Q2-WQ
(3) W₁ = W2
(2) Q₁=Q2
(4) इनमें से कोई नहीं
- एक आदर्श गैस को चक्र ABCA के चारों ओर ले जाया जाता है जैसा कि चित्र में दर्शाया है चक्र के दौरान गैस द्वारा किया गया कार्य है:
(1) 3 PV
(2) 2 PV
(3) PV
(4) PV 2/3
- एक चक्रीय प्रक्रम में निकाय द्वारा किया गया कार्य है
(1) AQ = AU – AW
(2) AQ = AW
(3) AQ = AU + AW
(4) AQ = AU
- एक सिलेंडर में मौजूद एक आदर्श गैस को निर्वात में रखा गया है। यदि सिलेंडर अचानक फट जाए तो गैस का ताप-
(1) स्थिर रहता है
(2) शून्य हो जाता है
(3) बढ़ता है
(4) घटता है
- गैस के स्वतंत्र प्रसार के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा सत्य है?
(1) Q = W = 0 और ∆Εint = 0
(2) Q = 0, W > 0 और ∆Eint = -W
(3) W = 0, Q > 0 और ∆Eint = Q
(4) W = 0, Q < 0 और ∆Eint = 0
- किसी आदर्श गैस के लिए दिए गए प्रक्रम में dw = 0 और dq<0 है। तो गैस के लिए
(1) ताप में कमी होगी
(2) आयतन बढ़ जायेगा
(3) दाब स्थिर रहेगा
(4) तापमान बढ़ेगा
- एक आदर्श गैस के लिए समतापीय प्रक्रम में
(1) ऊष्मा की मात्रा स्थिर रहती है
(2) ऊष्मा की मात्रा और ताप स्थिर रहता है
(3) तापमान स्थिर रहता है
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
- क्या दो समतापीय वक्र एक दूसरे को काट सकते हैं?
(1) कभी नहीं
(2) हां
(3) तापमान 0 डिग्री सेल्सियस होने पर वे एक दूसरे को काटते है
(4) हां, जब दाब क्रांतिक दाब होता है
- एक समतापीय प्रसार में
(1) गैस की आंतरिक ऊर्जा बढ़ती है
(2) गैस की आंतरिक ऊर्जा कम हो जाती है
(3) आंतरिक ऊर्जा अपरिवर्तित रहती है
(4) गैस अणु की औसत गतिज ऊर्जा कम हो जाती है
- एक समतापीय उत्क्रमणीय प्रसार में यदि 27°C पर 96 gm ऑक्सीजन के आयतन को 70 L से बढ़ाकर 140 L कर दी जाए तो गैस द्वारा किया गया कार्य होगा
(1) 300 R log 10 2
(2) 81 R log 2
(3) 900 R log10 2
(4) 2.3 x 900 R log10 2
- एक बर्तन में 0.8 N/m² दाब पर 5 लीटर गैस को रखा गया है। इस बर्तन को 3 लीटर आयतन वाले एक निर्वातित बर्तन से जोड़ा गया है। अंदर परिणामी दाब होगा (पूरे निकाय को वियुक्त माना जाता है)
(1) 4/3 N/m²
(2) 0.5 N/m²
(3) 2.9 N/m²
(4) 3/4 N/m²
- एक आदर्श गैस के समतापीय प्रसार के लिए AP P का मान है P
(1) -¶^1/2 * Δ V/v
(2) – ∆V /v
(3) -¶ ∆V V
(4) ¶^-2 ∆V /v
- गैस नियम PV T = नियतांक के लिए सत्य है
(1) केवल समतापीय परिवर्तन
(2) केवल रूद्धोष्म परिवर्तन
(3) समतापीय और रुद्धोष्म दोनों परिवर्तन
(4) न तो समतापीय और न ही रुद्धोष्म परिवर्तन
- 0°C और 1 वायुमंडलीय दाब पर 22.4 L आयतन वाली O, गैस के एक मोल को समतापीय रूप से संपीड़ित किया जाता है जिससे इसका आयतन कम होकर 11.2 L हो जाए। इस प्रक्रम में किया गया कार्य है
(1) 1672.5 J
(2) 1728 J
(3) -1728 J
(4) -1572.5 J
- दाब P एवं परम ताप T पर एक आदर्श गैस की मात्रा दी गई है। गैस का समतापीय आयतन गुणांक है:
(1) RTlog10 v2 / V
(2) RT log10 V1/ V2
(3) V2 RT loge V2/v1
(4) RT Log_e v1/v2
- दाब P पर एक आदर्श गैस का रूद्धोष्म आयतन गुणांक है
(1) P
(2) γρ
(3) P/ 2
(4) P/ Y
- सामान्य दाब पर एक आदर्श गैस का समतापीय आयतन गुणांक है:
(1) 1.013×105 N/m²
(2) 1.013 106 N/m²
(3) 1.013 × 10-11 N/m²
(4) 1.013×10¹¹ N/m²
- समतापीय परिवर्तन में एक आदर्श गैस पालन करता है
(1) बॉयल का नियम
(2) चार्ल्स का नियम
(3) गे लुसाक का नियम
(4) उपर्युक्त में से कोई नहीं
- समतापीय प्रक्रम के लिए कौन-सा कथन गलत है?
(1) तापमान स्थिर है
(2) आन्तरिक ऊर्जा स्थिर रहती है
(3) ऊर्जा का कोई आदान-प्रदान नहीं होता
(4) (1) & 2) सही हैं
- एक आदर्श गैस A और एक वास्तविक गैस B का आयतन समतापीय परिस्थितियों में V से 2V तक बढ़ जाता है। निकाय एवं परिवेश के बीच आंतरिक ऊर्जा में वृद्धि।
(1) A और B दोनों में समान होगा
(2) दोनो गैसों में शून्य होगा
(3) B की तुलना में A में अधिक होगा
(4) A की तुलना में B में अधिक होगा
- समतापीय प्रक्रिया में गैस की विशिष्ट ऊष्मा होती है
(1) अनंत
(3) ऋणात्मक
(2) शून्य
(4) स्थिर रहता है
- समतापीय प्रक्रम घटित होने के लिए उपयुक्त पात्र को बनाया जाना चाहिए
(1) तांबा
(3) लकड़ी
(2) कांच
(4) कपड़ा
- एक ऊष्मागतिकीय प्रक्रम जिसमें निकाय का ताप T नियत रहता है यद्यपि अन्य चर P और V को परिवर्तित कर सकते हैं को कहते है
(1) समआयतनिक प्रक्रम
(3) समदाबीय प्रक्रम
(2) समतापीय प्रक्रम
(4) इनमें से कोई नहीं
- जब एक सिलेंडर में एक आदर्श गैस को पिस्टन द्वारा समतापीय रूप से संपीड़ित किया गया तो गैस पर किया गया कार्य 1.5 × 104 जूल पाया गया। इस प्रक्रम के दौरान लगभग
(1) गैस से 3.6 × 103 कैलोरी ऊष्मा प्रवाहित हुई
(2) गैस में 3.6 × 103 कैलोरी ऊष्मा प्रवाहित हुई
(3) गैस में 1.5 × 104 कैलोरी ऊष्मा प्रवाहित हुई
(4) गैस से 1.5 × 104 कैलोरी ऊष्मा बाहर निकली
- समतापीय परिवर्तन में जब किसी गैस को ऊष्मा दी जाती है तो परिणाम होगा
(1) किया गया कार्य बाह्य होगा
(2) ताप में वृद्धि होगी
(3) आंतरिक ऊर्जा में वृद्धि होगी
(4) किया गया कार्य बाह्य होगा एवं ताप में वृद्धि भी होगी
- जल के वाष्पन की गुप्त ऊष्मा 2240 J/gm होती है। यदि । 8 के प्रसार की प्रक्रम में किया गया कार्य 168J है तो आंतरिक ऊर्जा में वृद्धि होती है.
(1) 2408 J
(2) 2240 J
(3) 2072 J
(4) 1904 J
- एक आदर्श गैस का एक मोल 300K नियत ताप पर 10 लीटर प्रारंभिक आयतन से अंतिम आयतन 20 लीटर तक प्रसार होता है। गैस को प्रसारित करने में किया गया कार्य है-
(1) 750 J
(2) 1728 J
(3) 1500 J
(4) 3456 J
- पिस्टन लगे हुए एक सिलेंडर में 27°C ताप पर वायु का 0.2 मोल है। पिस्टन को इतनी धीमी गति से धकेला गया है कि सिलेंडर के भीतर का वायु परिवेश के साथ तापीय साम्यवस्था में है। यदि तिम आयतन प्रारंभिक आयतन का दोगुना है। तो निकाय द्वारा किया गया कार्य लगभग ज्ञात कीजिए
(1) 543 J
(2) 345 J
(3) 453 J
(4) 600 J
- एक आदर्श गैस के समतापीय प्रसार के दौरान
(1) इसकी आंतरिक ऊर्जा कम हो जाती है
(2) इसकी आंतरिक ऊर्जा नहीं बदलती
(3) गैस द्वारा किया गया कार्य उसके द्वारा अवशोषित ऊष्मा की मात्रा के बराबर होता है
(4) (2) और (3) दोनों सही हैं
- यदि उच्च दाब पर गैस युक्त सिलेंडर फट जाए तो गैस में होता है (1) उत्क्रमणीय रुद्धोष्म परिवर्तन और ताप में कमी
(2) उत्क्रमणीय रूद्धोष्म परिवर्तन और ताप में वृद्धि
(3) अनुत्क्रमणीय रूद्धोष्म परिवर्तन और ताप में कमी
(4) अनुत्क्रमणीय रूद्धोष्म परिवर्तन और ताप में वृद्धि
- रुद्धोष्म प्रसार में
(1) ∆U = 0
(2) ∆U = ऋणात्मक
(3) ∆U = धनात्मक
(4) ∆W = शून्य
- एक द्विपरमाणुक गैस (y=7/5)का दाब और घनत्व रुद्धोष्म रूप से (P, d) से (P’, d’) तक में परिवर्तित होता है। यदि d’/d = 32 तो P’/P होना चाहिए
(1) 1 / 128
(2) 32
(3) 128
4) इनमें से कोई नहीं
- गैस के दो सर्वसम नमूनों को (i) समतापीय रूप से (ii) रुद्धोष्म रूप से फैलने दिया जाता हैं। किया गया कार्य है
(1) समतापीय प्रक्रम में अधिक
(2) रुद्धोष्म प्रक्रम में अधिक
(3) दोनों में से किसी में भी नहीं
(4) दोनों प्रक्रम में समानता
- कौन-सा कथन सही है?
( 1) एक समतापीय प्रक्रम के लिए PV = नियतांक
(2) समतापीय प्रक्रिया में आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन किए गए कार्य के बराबर होना चाहिए
(3) रुद्धोष्म परिवर्तन के लिए का अनुपात है P2/ P1 = (v2/v1) ^ y , जहां y विशिष्ट ऊष्मा का अनुपात
(4) रुद्धोष्म प्रक्रम में किया गया कार्य निकाय में प्रवेश करने वाली ऊष्मा के बराबर होना चाहिए
- समतापीय और रुद्धोष्म वक्रों की ढाल (P-V ग्राफ में) संबंधित हैं
(1) समतापीय वक्र ढाल = रुद्धोष्म वक्र ढाल
(2) समतापीय वक्र ढाल = y × रुद्धोष्म वक्र ढाल
(3) रुद्धोष्म वक्र ढाल = y समतापीय वक्र ढाल
(4) रुद्धोष्म वक्र ढाल 2 × समतापीय वक्र ढाल X
- ताप T से T, तक रुद्धोष्म प्रसार में प्रति इकाई मोल किये गये कार्य की मात्रा है:
(1) R(T-T₁)
(2) R / y-1 (T- T1)
(3) RT
(4) R(T-T₁) (y – 1)
- किसी गैस के 2 मोल के रुद्धोष्म प्रसार के दौरान गैस की आंतरिक ऊर्जा में 2 जूल की कमी पाई जाती है प्रक्रम के दौरान गैस पर किए गए कार्य का मान है
(1) 1J
(2) -1 J
(3) 2J
(4) -2 J
- NTP पर हाइड्रोजन गैस की रुद्धोष्म प्रत्यास्थता हाइड्रोजन गैंस, (y = 1.4) है:
(1) 1 x 105 N/m²
(2) 1 x 10-8 N/m²
(3) 1.4 N/m²
(4) 1.4 x 105 N/m²
- सिलेंडर में वायु को एक पिस्टन द्वारा अचानक संपीडित किया जाता है जिसे दोबारा मूल स्थिति पर स्थापित कर दिया जाता है। समय के साथ
(1) दाब कम हो जाता है
(2) दाब बढ़ जाता है
(3) दाब समान रहता है
(4) गैस की प्रकृति के आधार पर दाब बढ़ या घट सकता है
- जब कोई गैस रूद्धोष्म रूप से प्रसारित होता है
(1) प्रसार के लिए किसी ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती है से आती है
(2) ऊर्जा की आवश्यकता होती है और यह गैस के पात्र की दीवार
(3) कार्य करने में आंतरिक ऊर्जा का उपयोग होता है
(4) ऊर्जा संरक्षण का नियम लागू नहीं होता
- एक द्विपरमाणुक गैस (y = 1.4) के 1 gm मोल को रुद्धोष्म रूप से संपीड़ित किया जाता है जिसमे इसका ताप 27°C से बढ़कर 127°C हो जाता है। तो किया गया कार्य होगाः
(1) 2077.5 joules
(2) 207.5 joules
(3) 207.5 ergs
(4) उपरोक्त में से कोई नहीं
- एक बहुपरमाणुक गैस (y=4/3) रुद्धोष्म रूप से इसके आयतन को 1/8 भाग तक संपीड़ित किया जाता है। यदि इसका प्रारंभिक दाब P. है तो इसका नया दाब होगा:
(1) 8 P.
(2) 16 P.
(3) 6 P.
(4) 2 P.
- हाइड्रोजन गैस को 300 K के प्रारम्भिक ताप पर रुद्धोष्म रूप से प्रसारित किया जाता है ताकि इसकी मात्रा दोगुनी हो जाए। हाइड्रोजन गैस का अंतिम ताप है: (y = 1.40, (2) 2/5 = 1.3195)
(1) 227.36 Κ
(2) 500.30 Κ
(3) 454.76 K
(4) -47°C
- एक दिए गए निकाय में परिवर्तन होता है जिसमें निकाय द्वारा किया गया कुल कार्य इसकी आंतरिक ऊर्जा में कमी के बराबर है। निकाय में अवश्य होना चाहिए-
(1) समतापीय परिवर्तन
(2) रुद्धोष्म परिवर्तन
(3) समदाबीय परिवर्तन
(4) समआयतनिक परिवर्तन
- किसी गैस के रूद्धोष्म प्रसार में प्रारंभिक और अंतिम ताप क्रमशः T, और T₂ हैं तो गैस की आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन होता है
(1) R/Y-1 (T2-T, )
(2) R/Y-1 (T,-T2 )
(3) R(T, -T2)
(4) शून्य
- जब साइकिल का टायर अचानक फट जाता है और हवा निकल जाती है तो यह दर्शाता है
(1) समतापीय प्रक्रम
(2) समदाबीय प्रक्रम
(3) समआयतनी प्रक्रम
(4) रुद्धोष्म प्रक्रम
- एक गैस रुद्धोष्म रूप से संपीड़ित की जा रही है। संपीड़न के दौरान गैस की विशिष्ट ऊष्मा है-
(1) शून्य
(2) अनंत
(3) सीमित परन्तु शून्येतर
(4) अपरिभाषित
- 27°C पर एक आदर्श एकपरमाणुक गैस के दो मोल का आयतन V है। यदि गैस को रुद्धोष्म रूप से 2V आयतन तक प्रसारित किया जाता है तो गैस द्वारा किया गया कार्य होगा: [y 5/3, R= 8.31 J/mol K]
(1) -2767.23 J
(2) 2767.23 J
(3) 2500 J
(4) -2500 J
- ∆U + ∆W = 0 के लिए मान्य है
(1) रुद्धोष्म प्रक्रम
(2) समतापीय प्रक्रम
(3) समदाबीय प्रक्रम
(4) समआयतनिक प्रक्रम
- 1 वायुमंडलीय दाब एवं 27°C ताप पर एक आदर्श गैस को रुद्धोष्म रूप से तब तक संपीड़ित किया जाता है जब तक इसका दाब प्रारंभिक दाब का 8 गुना न हो जाए तो अंतिम ताप है-
(γ = 3/2)
(1) 627 °C
(2) 527 °C
(3) 427 °C
(4) 327 °C
- रूद्धोष्म प्रक्रम के लिए यदि = 2.5 और आयतन प्रारंभिक आयतन 1/8 का गुना हैं तो दाब P’ का मान है (प्रारंभिक दाब = P)
(1) P’ = P
(2) P’ = 2P
(3) P’ = Px (2)15/2
(4) P’ = 7P
- रुद्धोष्म प्रक्रम में एक गैस की अवस्था को P₁, V₁, T₁ से P2, V2 T₂. से तक परिवर्तित किया गया है। निम्नलिखित में से कौन-सा संबंध सही है?
(1) T,V, Y^-1 = T2V2 Y^-1
(2) P,V, y^-1 = P2V2y^-1
(3) T,P, y^-1 = T2V2 y
(4) T,V, Y = T2V2 Y
- किसी गैस के रुद्धोष्म प्रसार में
(1) इसका दाब बढ़ जाता है
(2) इसके ताप में कमी होती है
(3) इसका घनत्व बढ़ता है
(4) इसकी तापीय ऊर्जा बढ़ती है
- TK के प्रारम्भिक ताप पर किसी आदर्श गैस का एक मोल रुद्धोष्म रूप से 6R जूल कार्य करता है। यदि स्थिर दाब और स्थिर आयतन पर इस गैस की विशिष्ट ऊष्माओं का अनुपात अंतिम ताप होगा 5 / 3 तो गैस का
(1) (T+2.4)K
(2) (T-2.4)K
(3) (T+4)K
(4) (T-4)K
- ऊष्मारोधी पिस्टन से युक्त एक ऊष्मारोधी बर्तन में एक गैस (y = 1.3) 105 N/m² दाब पर परिबद्ध है। पिस्टन को अचानक दबाने से आयतन प्रारंभिक आयतन का आधा हो जाता है। गैस का अंतिम दाब-
(1) 20.7 x 10^5
(2) 21.3 x 10^5
(3) 21.4 x 10^5
(4) इनमें से कोई नहीं
- हम एक ऊष्मागतिकीय निकाय पर विचार करते हैं। यदि ∆U इसकी आंतरिक ऊर्जा में वृद्धि को दर्शाता है और W निकाय द्वारा किए गए कार्य को दर्शाता है तो निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है-
(1) रुद्धोष्म प्रक्रम में ∆U = -W
(2) समतापीय प्रक्रम में ∆U = W
(3) समतापीय प्रक्रम में ∆U = -W
(4) रुद्धोष्म प्रक्रम में ∆U = W
- एक गैस अचानक अपने मूल आयतन के एक चौथाई तक संपीड़ित हो जाती है। यदि इसका प्रारंभिक दाब P है तो इसका अंतिम दाब क्या होगा?
(1) P से कम
(2) P से अधिक
(3) P
(4) या तो (1) या (3)
- y = 1.4 वाले आदर्श गैस के एक मोल को रुद्धोष्म रूप से संपीड़ित किया जाता है जिससे इसका ताप 27°C से बढ़कर 35°C हो जाता है। गैस की आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन है- (R = 8.3 J/mol K)
(1)-166 J
(2) 166 J
(3) -168 J
(4) 168 J
- 27°C पर एक गैस के आयतन को इसके आयतन का 1/4 रूद्धोष्म रूप से कम किया जाता है। यदि ४ का मान 1.4 है तो नया ताप होगा-
(1) 350 x 4^0.4 K
(2) 300 × 4^0.4 K
(3) 150 x 4^0.4 K
(4) इनमें से कोई नहीं
- एक गैस के दो मोल के रुद्धोष्म प्रसार के दौरान इसकी आंतरिक ऊर्जा में-50J का परिवर्तन पाया गया। प्रक्रम के दौरान किया गया कार्य है
(1) शून्य
(2) 100 J
(3) -50 J
(4) 50 J
- किसी गैस की प्रत्यास्थता का रुद्धोष्म गुणांक 2.1 × 105 N/m² है तो इसकी प्रत्यास्थता का समतापी गुणांक क्या होगा? (Cp/Cv =1.4)
(1) 1.8 x 10^5 N/m²
(2) 1.5 x 10^5 N/m²
(3) 1.4 x 10^5 N/m²
(4) 1.2 x 10^5 N/m²
- एक गैस स्थिर दाब P के अंतर्गत आयतन V₁ से V₂ तक फैलती है। गैस द्वारा किया जाने वाला कार्य है
(1) P(V2- V, )
(2) P(V,-V₂)
(3) P(V, y -V2 y )
(4) P × V, V2 / V2-V,
- पिस्टन लगे हुए एक सिलेंडर में किसी आदर्श गैस के एक मोल का दाब P. आयतन V तथा ताप 0°C है। यदि दाब को नियत रखते हुए इसके ताप को । K से बढ़ाया जाता है। तो आयतन में वृद्धि है
(1) 2V/ 273
(2) V/91
(3) V / 273
(4) V
- 50 N/m² के नियत दाब पर एक गैस को 10m³ के आयतन से 4m³ के आयतन तक संपीडित किया गया है। गैस को गर्म करके इसमें 100 J की ऊर्जा दी जाती है। इसकी आंतरिक ऊर्जा है
(1) 400 J की वृद्धि
(2) 200 J की वृद्धि
(3) 100 J की वृद्धि
(4) 200J की कमी
- 2 वायुमंडलीय नियत दाब के स्थिर दाब पर 50 लीटर से 150 लीटर तक फैलने पर वायु द्वारा किया गया कार्य है
(1) 2 × 10^4 जूल
(2) 2 × 100 जूल
(3) 2 × 10^5 × 100 जूल
(4) 2× 10^5 × 100 जूल
- नियत बाह्य दाब P एवं ताप 1′ पर V₁ आयतन वाले किसी द्रव का एक इकाई द्रव्यमान पूर्ण रूप से V₂ आयतन में परिवर्तित किया जाता है। यदि दिए गए द्रव्यमान के वाष्पन की गुप्त ऊष्मा L है तो निकाय के आंतरिक ऊर्जा में वृद्धि है-
(1) शून्य
(2) P(V2-V)
(3) L-P(V2-V)
(4) L
- 27°C पर एक आदर्श गैस का आयतन है। इसे स्थिर दाब पर गर्म किया जाता है ताकि इसका आयतन 2 हो जाए। अन्तिम तापमान है:
(1) 54 °C
(2) 32.6 °C
(3) 327 °C
(4) 150 K
- प्रसार की समान प्रारंभिक और अंतिम अवस्था के लिए किये गये कार्य का कौन-सा बढ़ता हुआ क्रम सही है?
(1) रुद्धोष्म < समतापीय< समदाबीय
(2) समदाबीय <रुद्धोष्म< समतापीय
(3) रुद्धोष्म< समदाबीय< समतापीय
(4) इनमें से कोई नहीं
- गैस का एक नमूना आयतन V₁ से V₂ तक प्रसारित होता है। निम्न 2 में से किस प्रसार के होने पर गैस द्वारा किए गए कार्य की मात्रा सबसे अधिक होगी-
(1) समतापीय
(2) समदाबीय
(3) रुद्धोष्म
(4) सभी स्थितियों में समान
- सामान्य ताप एवं सामान्य नियत दाब 2.4 × 104 m³ पर एक आदर्श गैस के आयतन को 1 × 105 N/m²² की मात्रा से कम करने में किया गया कार्य है-
(1) 28 जूल
(2) 27 जूल
(3) 25 जूल
(4) 24 जूल
- एक उत्क्रमणीय समआयतनिक परिवर्तन में
(1) ∆W = 0
(2) ∆Q=0
(3) ΔΤ = 0
(4) ∆U = 0
- एक समआयतनिक प्रक्रम में यदि T₁ = 27°C और T₂ = 127 °C है तो P₁/P₂ का मान होगाः
(1) 9/ 59
(2) 2/3
(3) 3/ 4
(4) इनमें से कोई नहीं
- निम्नलिखित में से कौन-सा प्रक्रम उत्क्रमणीय है?
(1) विकिरण द्वारा ऊष्मा का स्थानांतरण
(2) नाइक्रोम तार का विद्युत तापन
(3) चालन द्वारा ऊष्मा का स्थानांतरण
(4) समतापीय संपीड़न
- गैस के एक निश्चित द्रव्यमान के लिए, T, और T₂ ताप पर P और V के बीच समतापीय वक्र 1 और 2 हैं जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है तो
P↑↑ V
(1) T > T₂
(2) T₁=T2
(3) T₂>T
(4) T₁ > 2T2
- एक आदर्श गैस के 10 मोल को 600 K स्थिर तापमान पर 100 L से 10 L तक संपीड़ित किया जाता है। इस प्रक्रम में गैस द्वारा किया गया कार्य:
(1) 12 × 104 J
(2)-12 × 104 J
(3) 11.4 × 104J
(4) -11.4 × 104 J
- निम्नलिखित में से किसमें निकाय की आंतरिक ऊर्जा स्थिर रहती है?
(1) समतापीय प्रक्रम
(2) समतापीय प्रक्रम
(3) समदाबीय प्रक्रम
(4) रुद्धोष्म प्रक्रम
- समदाबीय प्रत्यास्थता गुणांक का मान शून्य होता है जब प्रक्रम है-
(1) समआयतनिक
(2) समतापीय
(3) रुद्धोष्म
(4) समदाबीय
- रुद्धोष्म परिवर्तन में एक एकपरमाणुक गैस का दाब और ताप संबंध P~C^T के रूप में संबंधित है, जहां C का मान है
(1) 3/2
(2) 5/2
(3) 7 /9
(4) 7/9
- 27°C पर एक गैस अचानक इस प्रकार संपीड़ित हुआ कि इसका दाब इसके मूल दाब 1/8 हो गया। यदि y=5/3 है, तो गैस का तापमान होगा- 1
(1) -172°C
(2)-168°C
(3) 4K
(4) -142°C
- यदि P-V आरेख में आयतन अक्ष के समानांतर एक सीधी रेखा है तो यह एक ग्राफ है:
(1) समतापीय
(2) समदाबीय
(3) समआयतनिक
(4) रुद्धोष्म
- एक आदर्श गैस संबंध PV3/2 K का पालन करनी है। रुद्धोष्म
प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए यदि ऐसी गैस को प्रारंभ में तापमान T पर इसके प्रारंभिक आयतन के आधे तक संपीड़ित किया जाता है तो इसका अंतिम तापमान होगाः
(1) T/√2
(2) 2√2T
(3) 2T
(4) √2T
- स्थिर दाब एवं और आयतन पर एक आदर्श गैस की मोलर विशिष्ट ऊष्मा को क्रमशः Cpऔर Cv द्वारा दर्शाया जाता है। यदि ४ = Cp/Cv और R सार्वत्रिक गैस नियतांक है तो Cv बराबर है:
(1) YR / y-1
(2) R/ y-1
(3) (y-1)R/y
(4) इनमें से कोई नहीं
- 300 K और 600 K के बीच कार्यरत एक कार्नो इंजन का कार्य निर्गत 800 J प्रति चक्र है। प्रति चक्र स्रोत से इंजन को आपूर्ति की जाने वाली ऊष्मा ऊर्जा की मात्रा कितनी है?
(1) 1800 J/चक्र
(2) 1000 J/चक्र
(3) 2000 J/चक्र
(4) 1600 J/चक्र
- चक्रीय प्रक्रम में गैस की आंतरिक ऊर्जा
(1) बढ़ती है
(2) घटती है
(3) स्थिर रहती है
(4) शून्य हो जाती है
- उत्क्रमणीय प्रक्रम के लिए आवश्यक शर्त है
(1) सिस्टम के पूरे चक्र में किसी भी प्रकार की ऊष्मा ऊर्जा का नुकसान शून्य होना चाहिए
(2) यह प्रक्रिया बहुत तेज होनी चाहिए
(3) यह प्रक्रिया धीमी होनी चाहिए ताकि कार्यशील पदार्थ परिवेश के साथ तापीय और यांत्रिक संतुलन में रहे
(4) ऊर्जा की हानि शून्य होनी चाहिए और यह अर्धस्थैतिक होनी चाहिए
- एक चक्रीय प्रक्रिया में, निकाय द्वारा किया गया कार्य है
(1) शून्य
(2) तंत्र-निकाय को दी गई ऊष्मा के बराबर
(3) तंत्र को दी गई ऊष्मा से अधिक
(4) तंत्र-निकाय को दी गई ऊष्मा से स्वतंत्र
- कार्नो चक्र में एक आदर्श गैस ऊष्मा इंजन 227°C और 127°C के बीच संचालित होता है। यह उच्च तापमान पर 6 × 104J अवशोषित करता है। कार्य में परिवर्तित ऊष्मा की मात्रा है
(1) 4.8 × 10^4 J
(2) 3.5 × 10^4 J
(3) 1.6 × 10^4 J
(4) 1.2 × 10 ^4 J
- कार्नो इंजन की दक्षता 100% है यदि
(1) T2 = 273 K
(2) T₂=0 K
(3) T₁ = 273 K
(4) T₁=0K
- कार्नो इंजन में पहले एक आदर्श एकपरमाणुक गैस और फिर एक आदर्श द्विपरमाणुक गैस का उपयोग किया गया है। यदि स्रोत और अभिगम (sink) का ताप क्रमशः 411°C तथा 69°C है और इंजन प्रत्येक चक्र में 1000J ऊष्मा का प्रयोग करता है तो PV आरेख द्वारा परिबद्ध क्षेत्रफल है-
(1) 100 J
(2) 300 J
(3) 500 J
(4) 700 J
- कार्नो इंजन के अभिगम (sink) का ताप 27°C है। इंजन की दक्षता 25% है तो स्रोत का ताप है
(1) 227°C
(2) 327°C
(3) 127°C
(4) 27°C
- एक कार्नो इंजन में जब T2 = 0 °C और T₁ = 200 °C इसकी दक्षता 1₁ है और जब T₁ = 0 °C और T₂ = -200°C है। इसकी दक्षता n2 है तो n₁/n₂ क्या है:
(1) 0.577
(2) 0.733
(3) 0.638
(4) गणना नहीं की जा सकती
- 27°C एवं -123 °C 27 ताप पर स्थापित किए गए ऊष्मा भंडार के मध्य संचालित एक कार्नो इंजन की दक्षता है-
(1) 50%
(2) 24%
(3) 0.75%
(4) 0.4%
- एक निकाय के अव्यवस्था की डिग्री के माप को क्या कहते हैं
(1) समदाबीय
(2) आइसोट्रॉपी
(3) एन्थैल्पी
(4) एन्ट्रॉपी
- एक कार्नो इंजन की दक्षता 800 K से 500K के बीच और xK से 600 K के बीच समान है। x का मान है-
(1) 1000 K
(2) 960 K
(3) 846 Κ
(4) 754 K
- कार्नो इंजन की दक्षता 50% है जब निकास का तापमान 500 K है। अंतर्ग्रहण के ताप को समान रखते हुए दक्षता को 60% तक बढ़ाने के लिए निकास का तापमान क्या है?
(1) 200 Κ
(2) 400 Κ
(3) 600 Κ
(4) 800 Κ
- कार्नो इंजन भी 100% दक्षता नहीं दे सकता क्योंकि हम
(1) विकिरण नहीं रोक सकते
(2) आदर्श स्रोत नहीं खोज सकते
(3) परम शून्य तापमान तक नही पहुंच पाते
(4) घर्षण को दूर नही कर सकते
- कानों चक्र में सम्मिलित प्रथम प्रक्रिया है
(1) समतापीय प्रसार
(2) रूद्धोष्म प्रसार
(3) समतापी संपीड़न
(4) रूद्धोष्म संपीड़न
- कार्यकारी ताप के किस संयोजन के लिए कार्नो इंजन की अधिकतम दक्षता है
(1) 80 Κ, 60 K
(2) 100 Κ, 80 K
(3) 60 Κ, 40 Κ
(4) 40 Κ, 20 K
- जब स्रोत ताप T₁ और सिंक ताप T, हो तो कार्नो इंजन की दक्षता होगी:
(1) 7-7 T
(2) 72-7 T2
(3) T-T T2
(4) T2
- यह मानते हुए की एक इंजन 727°C और 227°C ताप पर दो ऊष्मा भंडार के बीच संचालित होता है इस प्रकार के इंजन की उच्चतम संभावित दक्षता है
(1) 1/2
(2) 0.25
(3) 3/4
(4) 1
- एक कानों इंजन 127°C पर स्रोत और 27°C पर सिंक से संचालित होता है। यदि स्रोत 40 KJ ऊष्मा ऊर्जा की आपूर्ति करता है तो इंजन द्वारा किया गया कार्य है
(1) 8 KJ
(2) 110 KJ
(3) 10 KJ
(4) 15 KJ
- जब 0°C पर, 1 किलो बर्फ 0°C पर पिघलकर जल में परिवर्तित हो जाता है तो इसकी परिणामी एन्ट्रापी में परिवर्तन होता है- (यदि बर्फ की गुप्त ऊष्मा 80 कैलोरी/ग्राम है।)
(1) 293 cal/k
(2) 305 cal/k
(3) 257 cal/k
(4) 423 cal/k
- एक कार्नो इंजन की दक्षता 25% है। यह 80 K ताप अंतर के साथ स्थिर ताप वाले ऊष्मा भंडार के बीच संचालित होता है। ठंडे ऊष्मा भंडार का ताप क्या है?
(1) -29°सेल्सियस
(2) -31°सेल्सियस
(3) -27°सेल्सियस
(4) -33° सेल्सियस
- एक कार्नो इंजन 627°C पर एक ऊष्मा भंडार से ऊष्मा लेता है और 27°C पर एक सिंक में ऊष्मा को अस्वीकार कर देता है। इसकी दक्षता होगी
(1) 1/5
(2) 2/3
(3) 2/5
(4) 3/7
- एक इंजन की दक्षता है। जब अभिगम (sink) का ताप 62°C – 6 कम कर दिया जाता है तब इसकी दक्षता दोगुनी हो जाती है तो स्रोत का ताप है:
(1) 73°C
(2) 102K
(3) 27°C
(4) 99°C