- नाभिक (Nuclei) MCQs
NCERT – - माना कि पात्रों की बहुत बड़ी संख्या रखी हुई है तथा प्रत्येक पात्र में 1 वर्ष के अर्द्ध-आयु वाले किसी रेडियो-सक्रिय पदार्थ के आरंभिक रूप से 10,000 परमाणु हैं। एक वर्ष के बाद-
(a) सभी पात्रों में पदार्थ के 5000 परमाणु होंगे।
(b) सभी पात्रों में पदार्थ के परमाणुओं की संख्या समान होगी किन्तु वह संख्या केवल 5000 होगी।
(c) पात्रों में सामान्य रूप से पदार्थ के परमाणुओं की भिन्न संख्या होगी लेकिन उनका औसत 5000 के निकट होगा।
(d) किसी भी पात्र में 5000 से अधिक परमाणु नहीं हो सकते हैं।
- किसी परमाणु में जब नाभिक का रेडियो-सक्रिय क्षय होता है, तो परमाणु का विद्युत ऊर्जा स्तर-
(a) किसी भी प्रकार की रेडियो-सक्रियता के लिए परिवर्तित नहीं होते हैं
(b) a एवं ẞ रेडियो-सक्रियता के लिए परिवर्तित होते हैं किन्तु ४- रेडियो-सक्रियता के लिए नहीं
(c) a-रेडियो-सक्रियता के लिए परिवर्तित होते हैं किन्तु अन्य के लिए नहीं
(d) ẞ-रेडियो-सक्रियता के लिए परिवर्तित होते हैं किन्तु अन्य के लिए नहीं।
- भारी स्थायी नाभिकों में प्रोटॉन की अपेक्षा अधिक न्यूट्रॉन होते हैं। ऐसा इस तथ्य के कारण होता है क्योंकि
(a) न्यूट्रॉन, प्रोटॉन की अपेक्षा अधिक भारी होते हैं। (b) प्रोटॉनों के मध्य स्थिरविद्युत बल प्रतिकर्षी होते हैं।
(c) न्यूट्रॉन, बीटा क्षय के कारण प्रोटॉनों में क्षय होते हैं।
(d) न्यूट्रॉनों के मध्य नाभिकीय बल प्रोटॉनों के मध्य नाभिकीय बलों से दुर्बल होते हैं।
- नाभिकीय रिएक्टर में मंदक, न्यूट्रॉनों को धीमा कर देते हैं जो विखण्डन की प्रक्रिया में बाहर आते हैं। प्रयुक्त किए गए मंदक में हल्के नाभिक होते हैं। भारी नाभिकों से उद्देश्य की पूर्ति नहीं होगी, क्योंकि
(a) वे टूट जाएँगे
(b) भारी नाभिकों से न्यूट्रॉनों का प्रत्यास्थ संघट्ट उन्हें धीमा नहीं करेगा
(c) रिएक्टर का कुल भार असहनीय रूप से अधिक होगा
(d) भारी नाभिकों वाले पदार्थ कमरे के ताप पर द्रव या गैसीय अवस्था में प्राप्त नहीं होते हैं।
PYQ VVI MCQs
- एक 240 द्रव्यमान संख्या का नाभिक, प्रत्येक द्रव्यमान संख्या 120 के दो खण्डों में टूटता है। अखन्डित तथा खन्डित नाभिकों की बन्धन ऊर्जा प्रति न्यूक्लियॉन क्रमशः 7.6 मेगाइलेक्ट्रॉन वोल्ट (MeV) तथा 8.5 मेगाइलेक्ट्रॉन वोल्ट (MeV) है। प्रक्रम में कुल प्राप्त बन्धन ऊर्जा होती है:
(a) 9.4 मेगाइलेक्ट्रॉन वोल्ट
(b) 804 मेगाइलेक्ट्रॉन वोल्ट
(c) 216 मेगाइलेक्ट्रॉन वोल्ट
(d) 0.9 मेगाइलेक्ट्रॉन वोल्ट
- α-कण में होते हैं
(a) केवल 2 प्रोटॉन
(b) केवल 2 प्रोटॉन और 2 न्यूट्रॉन
(c) 2 इलेक्ट्रॉन, 2 प्रोटॉन और 2 न्यूट्रॉन
(d) केवल 2 इलेक्ट्रॉन और 4 प्रोटॉन
- दो रेडियोएक्टिव पदार्थों, ‘A’ तथा ‘B’ के क्षयांक क्रमशः ’87’ तथा ” हैं। प्रारंभ में दोनों के नाभिकों की संख्या समान है। कितने समय के पश्चात् पदार्थ ‘B’ में नाभिकों की संख्या का ‘A’ में नाभिकों की संख्या से अनुपात 1/e होगा?
(a) 1/lambda
(b) 1/7lambda)
(c) 1/8lambda)
(d) 1/9lambda)
- जब द्रव्यमान ‘m’ तथा वेग ‘v’ से गतिमान कोई a-कण ‘Ze’ आवेश के किसी भारी नाभिक पर बमबारी करता है, तो उसकी नाभिक से निकटतम उपगमन की दूरी, m पर इस प्रकार निर्भर करती है:
(a) 1/(m ^ 2)
(b) m
(c) 1/m
(d) 1/(sqrt(m))
- किसी रेडियोएक्टिव (रेडियोधर्मी) समस्थानिक ‘X’ की अर्द्ध-आयु 20 वर्ष है। विघटित होकर यह ‘Y’ तत्व में परिवर्तित हो जाता है, जो स्थायी है। किसी चट्टान में ‘X’ तथा ‘Y’ का अनुपात 1:7 पाया जाता है, तो चट्टान की अनुमानित आयु होगी:
(a) 40 वर्ष
(b) 60 वर्ष
(c) 80 वर्ष
(d) 100 वर्ष
- एक मिश्रण में क्रमशः 20s तथा 10s अर्द्ध-आयु के दो रेडियोएक्टिव पदार्थ A_{1} और A_{2} हैं। प्रारम्भ में मिश्रण में A_{1} और A_{2} की मात्राएँ क्रमशः 40 g तथा 160 g है, तो कितने समय पश्चात् मिश्रण में दोनों की मात्रा समान हो जायेगी?
(a) 60 s
(b) 80 s
(c) 20 s
(d) 40 s
- किसी रेडियोएक्टिव समस्थानिक ‘X’ की अर्द्ध-आयु 50 वर्ष है। इसके क्षय होने से तत्व ‘Y’ बनता है जो स्थायी है। किसी चट्टान के प्रतिदर्श (सेम्पल) में ‘X’ और ‘Y’ तत्वों का अनुपात 1:16 पाया गया तो चट्टान की आयु होगी:
(a) 150 वर्ष
(b) 200 वर्ष
(c) 250 वर्ष
(d) 100 वर्ष
(JEE Main)
- दिए गए नमूने में दो रेडियोसक्रिय नाभिक Pव Q एक स्थाई नाभिक R के अन्दर क्षयित होता है। t = 0 समय पर, P प्रकार के नाभिकों की संख्या 4 N_{0} तथा Q प्रकार के नाभिकों की संख्या N_{0} है। P (R में परिवर्तित होने के लिए) की अर्द्ध-आयु 1 मिनट जबकि Q की 2 मिनट है। प्रारम्भ में नमूने में R के कोई नाभिकीय कण उपस्थित नहीं है। जब P व Q के नाभिकों की संख्या बराबर है, तो नमूने में उपस्थित R के नाभिकों की संख्या होगी:
(a) 2N_{0}
(c) (9N_{0})/2
(b) 3N_{0}
(d) (5N_{0})/2
- रेडियोऐक्टिव क्षय में उत्सर्जित ऋण आवेशी -कण होते हैं:
(a) नाभिक के चारों तरफ घूमने वाले इलेक्ट्रॉन
(b) नाभिक के भीतर विद्यमान इलेक्ट्रॉन
(c) नाभिक के भीतर न्यूट्रॉनों के क्षय से उत्पन्न इलेक्ट्रॉन
(d) परमाणुओं की टक्करों में उत्पन्न इलेक्ट्रॉन ।