10. तरंग-प्रकाशिकी (Wave Optics) MCQS
NCERT
2. 10^4 A° चौड़ाई की एक झिरी पर आपतित होने वाले सूर्य के प्रकाश पर विचार करें। छिद्र से देखने पर
(a) केन्द्र पर श्वेत वर्ण की एक पतली तीक्ष्ण झिरी दिखाई देगी।
(b) केन्द्र पर दीप्त श्वेत झिरी जैसा होगा जो कोरों पर शून्य तीव्रता में विसरित हो जाएगी।
(c) केन्द्र पर दीप्त श्वेत झिरी जैसा होगा जो विभिन्न वर्णों के क्षेत्रों में विसरित हो जाएगी।
(d) केवल श्वेत वर्ण की विसरित झिरी दिखाई देगी।
- यंग के द्वि-झिरी प्रयोग में, स्रोत श्वेत प्रकाश है। छिद्रों में से एक को लाल फिल्टर से तथा दूसरे को नीले फिल्टर से ढँक दिया जाता है। इस प्रकरण में,
(a) लाल एवं नीले के एकान्तर व्यतिकरण प्रतिरूप होंगे।
(b) नीले से भिन्न लाल दो लिए व्यतिकरण प्रतिरूप स्पष्ट होगा।
(c) कोई व्यतिकरण फ्रिन्जें नहीं होगीं।
(d) नीले वाले के साथ लाल के मिश्रित होने के लिए एक व्यतिकरण प्रतिरूप होगा।
PYQ VVI MCQS
- एक वृहत फोकस दूरी तथा वृहत द्वारक का लेन्स दूरदर्शी के अभिदृश्यक के लिए अत्यधिक उपयोगी होता है, क्योंकि :
(a) एक वृहत द्वारक गुणता तथा दृश्यता के लिए योगदान करता है।
(b) एक वृहत क्षेत्रफल का अभिदृश्यक उपयुक्त प्रकाश संग्रहण क्षमता का कारक होता है।
(c) एक वृहत द्वारक उत्तम विभेदन प्रदान करता है।
(d) उपर्युक्त सभी।
- किसी अन्तरापृष्ठ के लिए ब्रूस्टर कोण i_{b} होना चाहिए:
(a) 30 deg < i_{b} < 45 deg
(b) 45 deg < i_{b} < 90 deg
(c) i_{b} = 90 deg
(d) 0 deg < i_{b} < 30 deg
- किसी द्वि झिरी प्रयोग में, जब 400 nm तरंगदैर्ध्य के प्रकाश का उपयोग किया गया, तो 1m दूरी पर स्थित पर्दे पर बने पहले निम्निष्ठ की कोणीय चौड़ाई 0.2 deg पायी गयी। यदि समस्त उपकरण को जल में डुबो दिया, तो पहले निम्निष्ठ की कोणीय चौड़ाई कितनी होगी? ( mu pi*et =4/3)
(a) 0.1 deg
(b) 0.266 deg
(c) 0.15 deg
(d) 0.05 deg
- प्रकाश की तरंगदैध्यों, lambda_{1} =4000 dot A और lambda_{2} =6000 dot A के लिये, प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमताओं का अनुपात है:
(a) 8:27
(b) 9:4
(c) 3:2
(d) 16:81
- दो पोलेरॉइड P_{1} तथा P_{2} को इस प्रकार रखा गया है कि, इनकी अक्ष आपस में लम्बवत् हैं। P_{1} पर आपतित अनुवित प्रकाश की तीव्रता I_{0} है। P_{1} और P_{2} के बीच में एक अन्य पोलेरॉइड P_{3} को इस प्रकार रखा जाता है कि इसकी अक्ष P_{1} की अक्ष से 45 deg का कोण बनाती है। तो, P_{2} से पारगत प्रकाश की तीव्रता है:
(a) I_{0}/2
(b) I_{0}/4
(c) I_{0}/8
(d) I_{0}/16
7. 0.02 cm चौड़ाई के एक रेखीय द्वारक को 60cm फोकस दूरी के किसी लेंस के सन्निकट सामने रखा गया है। द्वारक को 5 * 10 ^ – 5 cm तरंगदैर्ध्य के प्रकाश की समान्तर किरणपुंज द्वारा लम्बवत् प्रकाशित किया गया है। प्राप्त विवर्तन पैटर्न के प्रथम अदीप्त बैण्ड की पर्दे के केन्द्र से दूरी होगी:
(a) 0.20 cm
(c) 0.10 cm
(b) 0.15 cm
(d) 0.25 cm
- दूर स्थित किसी स्रोत से आता हुआ, lambda = 600nm का प्रकाश पुंज, 1 mm चौड़ी झिरी पर आपतित होता है। इससे उत्पन्न विवर्तन पैर्टन को झिरी से 2m दूर स्थित पर्दे पर देखा जाता है, तो केन्द्रीय दीप्त फ्रिज के दोनों ओर की प्रथम अदीप्त फ्रिजों के बीच की दूरी होगी:
(a) 1.2 cm
(b) 1.2 mm
(c) 2.4 cm
(d) 2.4 mm
- यंग के द्वि झिरी प्रयोग में, पर्दे के किसी बिन्दु पर पथांतर होने से, वहाँ प्रकाश की तीव्रता ‘K’ है (‘X’ प्रयुक्त प्रकाश की तरंगदैर्ध्य है), तो पर्दे के उस बिन्दु पर जहाँ पथांतर lambda / 4 है, तीव्रता होगी:
(a) K
(b) K/4
(c) K/2
(d) शून्य
- यंग के एक द्वि झिरी प्रयोग में झिरियों (स्लिटों) के बीच की दूरी 2 mm है। इनको lambda_{1} =12000 dot A तथा lambda_{2} = 10000 Å तरंगदैर्ध्य के फोटॉनों से प्रदीप्त ( प्रकाशित ) किया गया है। यदि झिरियों से पर्दे की दूरी 2m हो तो, केन्द्रीय दीप्त फ्रिज से कितनी न्यूनतम दूरी पर, व्यतिकरण से उत्पन्न दोनों तरंगों की दीप्त फ्रिजें संपाती (एक दूसरे के ऊपर) होंगी?
(a) 8 mm
(b) 6 mm
(c) 4 mm
(d) 3 mm
- द्रुत वेग से चलती हुई इलेक्ट्रॉनों की एक समान्तर किरणपुंज किसी पतली झिरी पर लम्बवत् आपतित है। इस झिरी से पर्याप्त दूरी पर एक प्रतिदीप्त पर्दा रखा है। यदि, इलेक्ट्रॉनों की चाल को बढ़ा दिया जाए तो, निम्नांकित में से कौन-सा कथन सत्य होगा?
(a) इलेक्ट्रॉनों के कारण पर्दे पर विवर्तन पैटर्न नहीं दिखाई देगा। (b) विवर्तन पैटर्न के केन्द्रीय उच्चिष्ठ की कोणीय चौड़ाई बढ़ जायेगी।
(c) केन्द्रीय उच्चिष्ठ की कोणीय चौड़ाई कम हो जायेगी।
(d) केन्द्रीय उच्चिष्ठ की कोणीय चौड़ाई अप्रभावित रहेगी।
- 5000 Å तरंगदैर्ध्य पर 10 cm व्यास के दूरदर्शी के कोणीय विभेदन का क्रम होगा:
(a) 106 rad
(c) 10° rad
(b) 10 rad
(d) 10-2 rad
- एक दूरबीन के अभिदृश्यक लेंस का व्यास 10 cm है तथा यह दो पिण्डों से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यदि प्रकाश की मध्यवर्ती तरंगदैर्ध्य 5000 Å मानी जाए, तो इन दो पिण्डों के बीच की कम से कम दूरी जिस पर दूरबीन उन्हें पृथक-पृथक दिखा सके, लगभग होगी:
(a) 5 m
(b) 5 mm
(c) 5 cm
(d) 0.5 m
- एक मानव नेत्र के लेंस का व्यास 2 मिमी है। नेत्र से 50 मीटर की दूरी पर स्थित दो बिन्दुओं को विभेदित करने के लिए उनके मध्य की न्यूनतम दूरी क्या होगी, जबकि प्रकाश की तरंगदैर्ध्य 5000 Å है?
(a) 2.32 m
(b) 4.28 mm
(c) 1.25 cm
(d) 12.48 cm